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जीवन साथी के मंगल कामना के लिए भारतीय ललनाए रखती हैं करवा चौथ व्रत

करवा चौथ शुक्र वार 10 अक्टूबर

सनातन धर्म में करवा चौथ का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है ।यह पर्व सुहागन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है ।क्योंकि इस दिन पर अपनी पति की लंबी आयु अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती है। महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किये व्रत रखने के बाद शाम को चंद्रमा की पूजा करने के पश्चात अपना व्रत खोलती है ।करवा चौथ को कठोर व्रत में गिना जाता है ।क्योंकि इसमें लगभग 12 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है जिसमें ना अन्य ग्रहण किया जाता है और ना ही जल या त्योहार वैवाहिक प्रेम और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है हिंदू पंचांग के अनुसार करवा चौथ हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है इस दिन महिलाएं प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लेती है दिनभर पूजा की सामग्री तैयार करती हैं कथा सुनती है और शाम के समय चंद्रमा निकलने पर उसे आज देकर पूजा संपन्न करती हैं व्रत खोलते समय महिलाएं अपने पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत समाप्त करती है इस साल करवा चौथ कार्तिक माह के कारण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर को शुरू होगा और कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 10 अक्टूबर को शाम 7:38 पर समाप्त होगा करवा चौथ का पूजन 5:16 से शाम 6:29 तक किया जाएगा।