सत्येन्द्र जैन
मैं व्यक्ति गत तौर पर प्रशांत किशोर का प्रशंसक हूँ। केजरीवाल और प्रशांत जैसे लोगो राजनीति में आना अच्छा है। वे समाज को एक अलग दिशा देते है। लेकिन सामान्य शान्ति काल में
अर्थात किसी यूपीए, मनमोहन जैसी सरकार में कुछ कर सकते है। जैसे उस वक्त रमन सिंह, शिवराज, वसुंधरा, मायावती, चंद्रबाबू वगैरह अच्छा कर सके।ये लोग तो उनसे भी ज्यादा बेहतर करेंगे। लेकिन अभी नही।
ये एकाध राज्य जीतकर वे कुछ बदल नही सकते।उस राज्य में कुछ स्कूल हस्पताल में कास्मेटिक बदलाव भले ला दें। पर जब तक इकॉनमी, संसद, न्याय, राजनीति की गंगोत्री इन दंगाइयों और ब्लैकमेलरों के हाथ मे है, ये नए उभरते लोग, निष्प्रभावी रहेंगे।
याद कीजिए, केजरीवाल ने दिल्ली दंगो के वक्त क्या किया? नवीन फटनायक उड़ीसा बढ़िया करते रहे, केंद्र में क्या किया? जगन मोहन रेड्डी दुष्यंत चौटाला ने क्या किया?ये टुकड़ी टुकड़ी ताकते क्या इस देश मे वापस शांति लाने, और सबको वापस उत्पादक काम मे लगाने का का माद्दा रखती हैं।
अगर नही, तो इन गमलों में उगाए नरम खूबसूरत बोनसाई विपक्ष में समय क्यो गंवाना??
योजना तो यही है न कि हल्का फुल्का विरोध करते ये लोग, इस पीढ़ी का टाइम पास करवाते रहें। सत्ता विरोधियों को संतोष रहे कि कोई हम दुष्टों को हरा रहा है।और उसे हरा पाने वाली सही अखिल भारतीय ताकत से मुंह मोडे रहें।
राहुल की तमाम कमियों के बावजूद मैं उसे ही चुनूँगा। वह जड़ पकड़ चुका है। गमलों में उगाये गए इन नन्हे मुन्ने बोनसाई विपक्ष की तुलना में, कोई संवेदनशील सक्षम अखिल भारतीय बदलाव लाने के लिए सिर्फ वही सही स्थान है।शनै शनै उसका ग्राफ ऊपर भी जा रहा है। और इसलिए सम्भव है कि पंजाब में भगवंत मान की तरह, बिहार में भी जादुई मशीन से पीके का जिन्न निकले।
आखिर वोट चोरी के आरोपो का यह सबसे शानदार जवाब होगा।
याद रखिये, कांग्रेस या इंडिया गठबन्धन की जगह किसी भी बोनसाई को आप चुनेंगे , तो अपने जीवन के और पांच साल गंवाएंगे।
बाकी, अगर कोई आदमी दर्शनीय, वाक्यपटु और पसन्द है, आप सब जान समझकर उसका को तारणहार बनाएं रखना चाहते हैं। पप्पू, बारबाला, टोंटी चोर वगैरह के जुमला के बादशाह की धुन पर आप नाचने में मग्न रहने की मानसिकता में जी रहे हैं
तो आपको मेरी ओर से दिल से शुभकामनाएं फिर कहता हूँ, सुंदर मूरतें, अच्छा घर, ये शान्ति काल की लग्जरी है। जब सर पर तूफान हो, तो पहले तूफान से निजात पाइये।
घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत बाद का है
पहले ये तय हो कि इस घर को बचाएं कैसे

